सरदार पटेल की बचपन की तस्वीर

गुजरात के नाडियाद गाँव में ३१ अक्टूबर १८७५ को पैदा हुए वल्लभभाई पटेल छह बच्चों के परिवार में चौथे थे। अपनी माँ लाडबा की देखभाल में करमसाद में बड़े होते हुए वे अक्सर अपने पिता झवेरभाई, जो कि एक किसान थे, की जमीन जोतने में मदद किया करते थे। कहा जाता है कि उनके पिताजी १८५७ के विद्रोह में झांसी की रानी की सेना में अंग्रेजों के खिलाफ लड़े थे। जब तक वल्लभभाई का जन्म हुआ तब तक झवेरभाई अपने हिस्से की दस एकड़ पैतृक भूमि में हल चलाने वाले किसान के जीवन में बस गए थे। वल्लभभाई की माँ लाडबा को सुंदर आवाज़ वाली एक बहुत ही सक्षम महिला कहा जाता था। वे हर शाम को भक्ति गीत गाने के लिए और महाकाव्यों से कहानियाँ सुनाने के लिए बच्चों को आँगन में एक साथ इकट्ठा किया करती थीं।

हालांकि वल्लभभाई का दाखिला गाँव के विद्यालय में हुआ था, उन्होंने सरल अंकगणित और पहाड़े अपने पिता से उनके साथ खेतों पर जाते हुए सीखे थे। सीखने के लिए उत्सुकहोने के कारण वे अपने शिक्षकों से विद्यालय में बहुत सारे सवाल पूछा करते थे। नाराज़ होकर उन्होंने (शिक्षकों) उन्हें स्वयं सीखने के लिए कहा। इशारा समझते हुए उनका अधिकतर ज्ञान स्वयं अर्जित किया हुआ था। अंग्रेज़ी सीखने की इच्छा होने पर सोलह साल की उम्र में सातवी कक्षा गुजराती में पास करने के बाद, वल्लभभाई उच्च शिक्षा के लिए पेटलाड चले गए, उनके घर से सात मील की दूरी पर स्थित एक छोटा कस्बा, क्योंकि उनके कस्बे करमसाद में कोई अंग्रेज़ी विद्यालय नहीं था। करमसाद से छह अन्य लड़कों को अपने साथ जाने के लिए राजी करके, उन्होंने पेटलाड में एक छोटा सा घर किराए पर लिया जहाँ वे खाना पकाते, आपस में काम बाँटते और अध्ययन किया करते थे।

२२ वर्ष की आयु में उन्होंने नडियाद से मैट्रिक पूरा किया। इसके बाद वे बॉम्बे में अध्ययन करने की इच्छा रखते थे लेकिन जीवन उन्हें दूसरे दिशा में ले गया।

इस बीच १६ साल की उम्र में उन्होंने पास के गाँव की एक लड़की जैवरबाई से विवाह किया। दुर्भाग्य से, जैवरबाई के बारे में बहुत कम जानकारी है। बाद में उनके दो बच्चे पैदा हुए। १९०४ में जन्मी एक बेटी मणि, और १९०६ में जन्मा एक बेटा दह्या।