एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में हमें प्रेस की स्वतंत्रता, भाषण की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संघ की स्वतंत्रता और सभी तरह की स्वतंत्रता होना चाहिए।

हमारी आजादी लाखों लोगों के बलिदान से प्राप्त की गई है। यदि हम उस स्वतंत्रता का समर्पण कर देते हैं और उन लोगों की धमकियों के आगे झुक जाते हैं जो विदेशी संगठनों के लिए काम करते हैं तो यह उन बलिदानों के लिए एक अपर्याप्त प्रतिदान होगा ।

जाति और पंथ का कोई भेद हमें रोक न सके। सभी भारत के बेटे और बेटियाँ हैं। हम सभी को अपने देश से प्यार करना चाहिए और पारस्परिक प्रेम और मदद पर अपनी नियति का निर्माण करना चाहिए।

यह सच है कि हमने विदेशी शासन हटा दिया लेकिन इसे हटाने के बाद हमने आपस में ही लड़ाई-झगड़ा किया और एक दूसरे का गला काटने लगे। विश्व के सामने हमने एक ऐसा तमाशा प्रस्तुत किया है जो हमारी संस्कृति के एकदम विरुद्ध और पूरी तरह से गांधीजी की शिक्षाओं के विपरीत है।

खुशी और दुख कागज़ की गेंदें हैं। मृत्यु से डरो मत। राष्ट्रवादी सेना में शामिल हो, एकजुट हो। जो भूखे हैं उन्हें काम दो, अपाहिजों को भोजन दो, अपने झगड़े भूल जाओ।

कुछ लोगों की लापरवाही आसानी से जहाज को तल पर पहुँचा सकती थी, लेकिन इसके लिए जहाज पर सवार सभी लोगों के पूरे दिल से सहयोग की आवश्यकता थी; उसे सुरक्षित रूप से बंदरगाह पर लाया जा सका।

हमें आपसी कलह को मिटाना है, ऊँच और नीच होने के भेद-भाव को हटा कर एक समान होने की भावना को विकसित करना है तथा अस्पृश्यता को दूर करना है। हमें ब्रिटिश शासन से पहले प्रचलित स्वराज की स्थितियों को पुनर्स्थापित करना होगा। हमें एक ही पिता की संतानों की तरह रहना होगा।

आज हमें उच्च और निम्न, समृद्ध और गरीब, जाति या पंथ के भेद को दूर करना होगा।

तुम्हारी अच्छाई तुम्हारे रास्ते में बाधा है, इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दो और मजबूती के साथ अन्याय से लड़ने की कोशिश करो।

आंतरिक सरकार में एकता और सहयोग में अनिवार्य वस्तुएँ हैं ।

सत्याग्रह पर आधारित युद्ध हमेशा दो प्रकार का होता है। एक युद्ध हम अन्याय के खिलाफ लड़ते हैं, और दूसरा हम अपनी कमजोरियों से लड़ते हैं।

समान प्रयास से हम देश को एक नई महानता की ओर उठा सकते हैं, जबकि एकता की कमी हमें ताजी आपदाओं के जोखिम में डाल सकती है।